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गर्भाशय की रसौली, बच्चेदानी में गांठ होने के लक्षण, कारण, इलाज व बचाव

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Published 20 Nov 2019

यूटराइन फाइब्रॉइड गर्भाशय का गैर कैंसरस ट्यूमर है। इसे गर्भाशय की रसौली भी कहा जाता है। गर्भाशय की मांसपेशियों में छोटी-छोटी गोलाकार गांठें बनती हैं, जो किसी महिला में कम बढ़ती हैं और किसी में ज्यादा। यह मटर के दाने के बराबर भी हो सकती हैं और किसी-किसी महिला में यह बढ़ कर फुटबॉल जैसा आकार भी ले सकती हैं। महिलाओं में गर्भाशय से जुड़ी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। किसी को अनियमित पीरियड्स की शिकायत है, तो किसी को अत्यधिक रक्तस्राव हो रहा है। वहीं, कुछ महिलाएं ऐसी हैं, जो गर्भाशय फाइब्रॉएड (रसौली) से जूझ रही हैं। हालांकि, इसका उपचार आसान है, लेकिन अनदेखी करने पर बांझपन जैसे गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। हैरानी की बात तो यह है कि अधिकतर महिलाओं को फाइब्रॉएड के बारे में पता ही नहीं है। फाइब्राइड उन युवतियों को अधिक होते हैं जो बड़ी उम्र तक अविवाहित रहती हैं। डॉक्टर्स का कहना है कि एक उम्र विशेष पर शरीर के भीतरी अंगों की अपनी जरूरत पनपती है और वह पूरी नहीं होती तो फाइब्राइड की समस्या जन्म लेती है। इसी से जुड़ा यह तथ्य है कि शरीर जब बच्चे को जन्म देने के लिए तैयार होने लगता है तब ढेर सारे हार्मोनल परिवर्तन होते हैं उन परिवर्तनों के अनुसार जब शरीर बच्चे को जन्म नहीं दे पाता है तो इस तरह की परेशानी सामने आती है। मायोमेक्टमी और हिस्टरेक्टमी दोनों ही लैप्रोस्कोपिक (छोटे सुराख से) तरीके से भी की जा सकती हैं। इस प्रक्रिया से सर्जरी करने के बाद ठीक होने का समय कम हो जाता है। लेकिन दोनों ही इनवेसिव तरीके तो हैं ही जिनमें एनैस्थिसिया और सर्जरी के बाद की कुछ जटिलताओं की संभावना हमेशा रहती है। https://www.laparoscopyhospital.com/ For more information please contact: World Laparoscopy Hospital Cyber City, Gurugram, NCR DELHI INDIA 122002 Phone & WhatsApp: +919811416838, + 91 9999677788

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